अंगिका भाषा मुख्यतः प्राचीन अंग महाजनपद अर्थात भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र- दक्षिण बिहार, झारखंड, बंगाल, असम, उड़ीसा, नेपाल के तराई इलाकों में बोली जाती है । प्राचीन समय में ‘अंग लिपि’ से प्रस्तुत, अंगिका एक भारतीय ‘आर्य-भाषा’ है जो कि लगभग पाँच करोड़ लोगों द्वारा प्रयोग की जाती है ।
यह एक साहित्यिक भाषा है जिसका एक समृद्ध इतिहास रहा है ।
अंगिका साहित्य में कई दिग्गजों ने महारथ प्राप्त किया है । मुझे यह आह्लाद एवं गौरव है कि मेरे परिवार का भी अंगिका-साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।
मेरे पिता डॉ॰ शिवचन्द्र झा ‘अंगिरस’ –
डॉ॰ शिवचन्द्र झा ‘अंगिरस’ द्वारा लिखित पुस्तकें –
१ श्रीमद भागवत-रहस्य (अंगिका में प्रवचन)
२ अंगिका भाषा व्याकरण भास्कर
३ अंगिका शब्दानुशासन
४ अंगिका निबंध
५ अंगिका भाषा विज्ञान
६ अंग जनपद
७ चौबटिया (कहानी संग्रह)
८ कवीश्वर श्यामसुंदर (जीवन आरो काव्य)
मेरी माता श्रीमती इंदुबाला झा–
श्रीमती इंदुबाला झा द्वारा लिखित पुस्तकें –
१ कवीश्वर श्यामसुंदर (समीक्षात्मक अध्ययन)
२ अंगिका लोकगीत (सांस्कृतिक अध्ययन)
अंगिका के प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ॰ अमरेन्द्र को ‘श्रीमदभागवद-रहस्य’ प्रदान करती हुई मेरी माता श्रीमती इंदुबाला झा। चित्र का श्रेय: श्री रंजन कुमार (चित्र में उपस्थित)
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This is so wonderful Jyoti. At a time when we seem to be losing out on vernacular literature and dialects these kind of initiatives are so relevant. My compliments to your parents.
I am so touched 😊🙏😇😇 Thankyou so much Sonia! This means a lot. Would love to convey your compliments 🤗
This is a beautiful post, Jyoti. You are a proud daughter of proud parents. So glad to know about them and so much about the language.
Thankyou so much Chinmayee 💕🤗🙏 So glad you dropped by! Thanks for your wishes and appreciation ❤